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Wednesday, 19 March 2014

सुलग उठी है चिंगारी


सुलग उठी है चिंगारी ये बन के आग फ़ैलेगी,
ज़मी से आसमां तक सबको अपनी हद में ले लेगी।

हमें तिनके ना समझो जो उड़ जाएँ हवाओं से,
ये दीवानों की टोली अब तो हर तूफ़ान झेलेगी।

लड़ेगा देश का हर नौजवां हक की लड़ाई को,
ना अब गैरों के हाथों में कोई तक़दीर खेलेगी।

यकीन जिसने किया खुद पर सितारे की तरह चमका है,
तेरे ख्वाबों की दुनिया भी हकीक़त रूप ले लेगी। 

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